महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई थी, गाँधीजी की हत्या के बाद गाँधी युग का अंत हुआ लेकिन उनकी देन एवं उनके मूल्य हमेशा कायम रहेंगें!
महात्मा गांधी का जन्म
मोहनदास करमचंद गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को वर्तमान गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गाँधी एवं उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। वे अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। उनकी माँ पुतलीबाई बहुत सज्जन एवं धार्मिक स्वभाव की थीं जिसने गांधीजी के व्यक्तित्व पर बहुत गहरा प्रभाव डाला।
शुरूआती जीवन : साधारण एवं संकोची व्यक्ति
बापू बहुत ही सीधे एवं ईमानदार व्यक्ति थे। वे अपनी दृढ़ता एवं निष्ठा के लिए जाने जाते थे। जिस छोटे से घर में गाँधीजी का जन्म हुआ था, वे घर आज “कीर्ति मंदिर” के नाम से विख्यात है। उनकी माँ पुतलीबाई एक पारंपरिक हिन्दू महिला थीं जो धार्मिक प्रवृत्ति वाली एवं संयमी थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने घर एवं परिवार के लिए समर्पित कर दिया था। गाँधीजी की माँ के व्यक्तित्व ने उनके व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित किया।
सुधारक के रूप में गाँधीजी का पहला सत्याग्रह
गाँधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह सन् 1917 ई० में बिहार के चंपारण जिले से शुरू किया। अंग्रेज़ यहाँ के नील बगान के मालिकों का शोषण किया करते थे।
गाँधीजी की हत्या
गाँधीजी पर बम फेंकने की घटना को दस दिन हुए थे। 30 जनवरी 1948 को जब गाँधीजी दिल्ली स्थित बिड़ला मंदिर से अपनी संध्या प्रार्थना समाप्त कर बाहर निकल रहे थे, उसी समय नाथूराम गोडसे ने उनके सीने पर ताबड़तोड़ तीन गोलियाँ चलाईं। गोली लगते ही गाँधीजी जमीन पर गिर पड़े। मरते वक्त उन्होंने दो शब्द बोले – हे राम! उनका अंतिम संस्कार यमुना के तट पर किया गया।